लेखनी प्रतियोगिता -09-Mar-2022 मेरे जीवन साथी
रमेश को आज सविता की बहुत याद आरही थी क्यौकि आज उसके न हौने से इस संसार में कोई अपना कहने वाला नही था।
रमेश अपने पिता का सबसे बडा़ बेटा था उससे दो छोटे भाई थे। जब रमेश का जन्म हुआ था तब उसके पिताजी की आर्थिक स्थित बहुत खराब थी। जिससे रमेश की पढा़ई एक सरकारी स्कूल मे हुई।
रमेश पढ़ने लिखने में भी कमजोर था। वह अपने पिता के साथ खेती के काम में साथ देता था। उसके पिता बहुत समझाते थे कि पढले । विद्या ही ऐसी है जिसे कोई नही बाट सकता है धन सम्पत्ति सभी भाई बाट लेते है।
लेकिन रमेश पढ़ नही सका था। उसने केवल पाँचवी तक पढा़ई की थी। उसके दूसरे भाई पढ़ने मे तेज थे।
रमेश केलिए कोई अपनी बेटी भी नहीं देना चाहता था। परन्तु एक लड़की के पिता रमेश को देखकर अपनी बेटी देने को तैयार होगये।
रमेश छिपकर सविता से मिलने पहुँचगया। बहुत कठिनाई से वह सविता से मिला और बोला," देखो तुम्हारे पिताजी तुम्हारी शादी मुझसे कर रहे है। मैं पढा़नही हूँ मैं गाँव का गँवार हूँ तुम अपने पिताजी मना करदो। "
सविता बोली," बैसे तो मै इस शादी से नाराज थी परन्तु अब शादी आपसे ही करूँगी।"
रमेश बोला," मुझ में ऐसा क्या देखलिया । मै कहता हूँ पछताओगी। जिद मत करो और अपने पिताजी से मना करदो।"
लेकिन सविता नही मानी और रमेश की पत्नी बनकर आगयी।
उसी समय उसके पिता की लम्बी बीमारी से मौत होगयी।।
रमेश ने ही घर को सम्भाला और भाईयौ को पढा़या। उसकी पत्नी सविता ने हमेशा उसका साथ दिया। जैसा रमेश कहता वह बैसा ही करती थी।
उसके दौनौ भाईयौ की सरकारी नौकरी लग गयी। रमेश ने अपने दौनौ भाईयौ की पढी़ लिखी लड़कियौ से शादी करदी। अब रमेश के दौनौ भाई अपनी अपनी पत्नी लेकर शहर में शिफ्ट होगये।
अब वह अपनी तनखा में से रमेश को एक पैसा नही देते थे। जबकि रमेश ने कर्जा लेकर दौनौ भाईयौ को पढा़या था। आज वह दौनौ उसको अकेला छोड़कर चलेगये थे। रमेश ने महनत करके कर्जा चुकाया था।
रमेश की माँ रमेश के साथ ही रहती थी । रमेश की माँ ने एक बार अपने छोटे बेटौ को बुलाकर बहुत डाँटते हुए बोली," तुम दोनौ को शर्म आनी चाहिए यदि यह अपना परिवार लेकर अलग हो जाता तब तुम दौनौ का क्या हाल होता।
सविता ने तुम दौनौ को कितने दिन खाना बनाकर खिलाया। तुम अपनी पत्नी लेकर शहर भाग गये । यदि मै मरजाऊ तब मेरे शरीर से रमेश के अलावा कोई हाथ नही लगायेगा। मै ऐसे बेटौ से नफरत करती हूँ।"
सविता ने अपनी सास को बहुत समझाया तब वह बहुत मुश्किल से चुप हुई।
इसी बीच सविता की तबियत खराब होगयी। रमेश के पास उसके इलाज के लिए पैसा नही था जब सविता की तबियत ज्यादा खराब होगयी।
रमेश परेशान होकर सविता से बोला," सविता मैने तुमसे उसदिन मना किया था कि तुम मेरे साथ शादी करके परेशान होजाओगी। लेकिन तुमने मेरी बात नही मानी।आज मेरे पास तुम्हारे इलाज के लिए पैसे भी नही है।"
सविता बोली," आप कयौ परेशान होरहे है मुझे आपके साथ शादी करने का कोई पछताबा नहीं है। मै बहुत खुश हू अब ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपके कन्धौ पर चली जाऊ। "
" नहीं सविता मै सुबह होते ही तुम्है शहर लेकर जाऊँगा मेरी भूल थी कि मैने अपने परिवार का भला चाहा। मुझे क्या मालूम था कि ये इतने नमक हराम निकलैगे। मै तेरा अपराधी हूँ । " इतना कहकर वह रौने लगा।
सविता रमेश के आँसू पौछ कर बोली," नही ऐसा नही कहते। आप ही गस तरह करके मुझे दुःखी करौगे तब मै भी दुःखी होजाऊगी। "
यह सब बातै उसकी मा ँ सुन रही थी। वह अपने गहने निकालकर लाई और रमेश को देते हुए बोली," इतना परेशान क्यौ होरहा है। ले बहू का इलाज करा । मै आगे कुछ नही सुनूँगी। यदि तूने मना कियातब सोचलेना मै यह घर छोड़कर चली जाऊँगी। "
रमेश चुप रह गया। उस समय तो सविता ठीक होगयी परन्तु कुछ समय बाद वह ईश्वर को प्यारी होगयी।
आज रमेश सविता की मौत के बाद बिल्कुल अकेला रह गया था। उसे आज अपने जीवन साथी की बहुत याद आरही थी। सविता ने रमेश के किसी काम का विरोध नही किया था। ऐसा जीवन साथी बहुत कठिनाई से मिलता है।
Abhinav ji
11-Mar-2022 08:43 AM
Very nice
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Naresh Sharma "Pachauri"
11-Mar-2022 02:54 PM
धन्यवादजी
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Dr. Arpita Agrawal
11-Mar-2022 12:06 AM
अति उत्तम,जीवन साथी का साथ बहुत अनमोल होता है
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Naresh Sharma "Pachauri"
11-Mar-2022 02:55 PM
धन्यवादजी
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Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 04:49 PM
बहुत खूबसूरत
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Naresh Sharma "Pachauri"
10-Mar-2022 05:25 PM
Very very thanks
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